Monday, December 3, 2012

राजकुमार वीरवर्धन और तालाब का राक्षस

बहुत दिन पहले की एक कहानी है। इन ऊँचे पहारों के पीछे एक देश था। उस देश का राजा बहुत ही दयालु था। वहां की प्रजा अपने राजा का बहुत ही मान सम्मान करती थी और अपने राजकुमार वीरवर्धन  पर जान छिरकति थी। आखिर कार राजकुमार भी बहुत ही साहसी और निडर था। उसके वीरता और बुद्धिमता का उसके मित्र और दुश्मन दोनों ही लोहा मानते थे।
फिर उस राज्य के एक गाँव में एक विचित्र राक्षस आ गया। वह राक्षस उस गाँव के एकलौते तालाब के अन्दर छुप कर बैठ गया था। और जब भी उसे भूख लगती थी तो वो वहां पर मौजूद जानवर या मनुष्य को खा लेता था। उस गाँव के सभी लोग उस राक्षस से तंग आ गए थे। तालाब भी एक ही था। इसलिए पानी के लिए तालाब जाना ही पड़ता था। बहुत लोगों ने उस राक्षस से विनती की, लेकिन वह वहां से जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। किसी में उससे लड़ने की हिम्मत नहीं थी। और वह पानी के अन्दर छुपा हुआ रहता था। फिर लोगों ने विचार किया की राजकुमार वीरवर्धन से ही विनती की जाए की उस राक्षस को भागाओ और हमारी जान बचाओ।
राजकुमार ने जब यह सुना तो तुरंत अपने घोड़े पर चढ़ कर निकल पड़ा। लेकिन वह चिंता में था की पानी में छिपे राक्षस से कैसे मुकाबला किया जाये। बीच रास्ते में उसे एक छोटी चिरिया दिखाई दी। बेचारी चिरिया सड़क पर गिरी हुई थी और उसके पंख भी टूटे हुए थे। राजकुमार को बहुत दया आइ। उसने अपने पीने का पानी चिरिया को पिला दिया। तभी चमत्कार हो गया। वो चिरिया एक परी बन गयी। परी बोली - "राजकुमार मैं तुम्हारी परीक्षा ले रही थी। तुमने अपने पीने का पानी एक चिरिया को पिला दिया। तुम बहुत ही दयालु हो। मेरी तरफ से एक चमत्कारी तलवार ले लो। इस तलवार से तुम अवश्य ही उस राक्षस से जीत जाओगे।" राजकुमार ने परी का बहुत ही आभार प्रकट किया।
वह अब दूने उत्साह के साथ राक्षस से मुकाबले के लिए निकल परा। जब राक्षस ने देखा की राजकुमार के पास जादुई तलवार है तो वह समझ गया की अब उसकी खैर नहीं है। उसने राजकुमार और गाँव वालों से माफ़ी मांगी और चुप चाप वहां से भाग गया। सभी गाँव वालों ने राजकुमार का जोर से जय जयकार किया।

(c) Anup Mayank
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1 comment:

panchtantra ki kahaniya said...

बहुत ही बढ़िया कहानी अति सुन्दर मजा आ गया
panchtantra ki kahaniya in hindi