फरवरी का महीना और वो चांदनी रात
उस रात की क्या बात
पेड़ों से लिपटी हुई मदहोश हवायेँ और
तुम से होना पहली मुलाकात
उस रात की क्या बात
फक्कड़ से घूम रहे थे हम, कुछ सकुचाती हुई आई तुम
दिल में उठे जज़्बात
उस रात की क्या बात
शायद तुमने देखा भी न हो, फिर मिलो अगर तो पहचानो भी न सही
लेकिन मुझे रहेगी ताउम्र याद
उस रात की क्या बात
No comments:
Post a Comment