यह जहर कहाँ से आया
मानव मन में अँधियारा छाया
सभी थमे और भयवान खड़े हैं
क्या शिव ने हलाहल उगल दिया है ?
मन की पीड़ा न बांटे कोई
मिलते न रिश्ते न नाते कोई
कैसा कारावास पड़ा है
इस बेड़ी को काटे जो ,
वो किशन किधर खड़ा है ?
देव कहाँ और दानव किधर हैं
एक भ्रम अथाह पड़ा है
समुद्र मंथन कैसे हो
सारा उत्साह खंडित हुआ है
क्या शिव ने हलाहल उगल दिया है ?
(c) Anup Mayank 2021
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